Digital Marketing vs Traditional Marketing in Hindi

Digital Marketing vs Traditional Marketing in Hindi

Digital Marketing vs Traditional Marketing in Hindi

Traditional Marketing , मार्केटिंग करने  का वह तरीका हे जिसका उपयोग इन्टरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी के आने से पहले ज्यादा किया जाता था । जिसके अंदर विज्ञापन प्रिंट करवाना,  टीवी और रेडियो पर विज्ञापन देना जेसे तरीके शामिल हे ।

Digital Marketing, मार्केटिंग करने का वह तरीका हे जिसमे हम डिजिटल टेक्नोलॉजी और चेनलो जेसे सोशल मिडिया(जेसे Facebook, Instagram, Youtube, etc. ) , ईमेल, सर्च इंजन और मोबाइल एप का उपयोग किया जाता हे । 

Digital Marketing और Traditional Marketing के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर यहां दिए गए हैं:

पहुंच: Traditional Marketing में हम अपने प्रोडक्ट को आम तोर पर अपने स्थानीय लोगो तक या अपने छेत्र के लोगो को ही बेच सकते हे । जबकि Digital Marketing में हम अपने प्रोडक्ट को दुनिया में दूर-दूर तक कही भी बेच सकते हे । डिजिटल मार्केटिंग हमे अपने व्यावसायो को सोशल मीडिया प्लेटफार्म और सर्च इंजन के माध्यम से बहुत दूर तक के दर्शको तक बी पहुचने की अनुमति देता हे ।

लागत: Traditional Marketing करना महंगा पड़ता हे, खासकर यदि आप बड़े और आपसे दूर के लोगो तक पहुचना चाहते हे । जबकि दूसरी और Digital Marketing अपेक्षाकृत सस्ता होता हे, और इसे आपके बजट के आधार पर बढ़ाया या घटाया जा सकता है।

टार्गेटिंग: Traditional Marketing में अक्सर अपने व्यापार को दर्शको तक पहुचाने के लिए मास मिडिया चेनलो पर निर्भर करता हे ,जबकि Digital Marketing में अपने व्यावसाय को टारगेट करने के लिए विज्ञापन और कंटेंट मार्केटिंग का उपयोग करके हम हमारी ऑडियंस को आसानी से टारगेट कर सकते हे।

इन्त्रक्टिविटी: Digital Marketing में हम सोशल मीडिया , ईमेल और अन्य डिजिटल चेनलो के माध्यम से अधिक ग्राहकों के साथ आसानी से जुड़ सकते हे और आपस में संचार और बातचीत भी  कर सकते हे जबकि Traditional Marketing में अपने ग्राहकों के साथ एक तरफा ही संचार होता हे, जिसके अंदर विज्ञापन प्रिंट करवाना, टीवी और रेडियो पर विज्ञापन देना जेसे तरीके ही शामिल हे ।

मापनीयता: Digital Marketing में हम अपने व्यावसाय के लिए की गयी मार्केटिंग को माप और ट्रैक भी कर सकते हे, की कितने लोग आपके व्यावसाय से जुड़ना चाहते हे । जबकि Traditional Marketing में हमारे व्यावसाय के लिए की गयी मार्केटिंग को मापना और ट्रैक करना बहुत कठिन होता हे ।

Traditional Marketing और Digital Marketing दोनों के अपने तरीके हे , लेकिन आपके व्यावसाय को उसके लक्ष्य ,बजट और टारगेट ऑडियंस तक पहुचना  पूरी तरह से व्यावसाय की मार्केटिंग की रणनीति पर निर्भर करता हे । कई व्यावसाय अपने ग्राहकों तक पहुचने के लिए Traditional और Digital Marketing  दोनों ही तरीको को चुनते हे ।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम समझेंगे की Traditional Marketing यानि अभी तक हम जो मार्केटिंग का तरीका यूज़ करते आ रहे थे। और आज के इस एरा में जो Digital Marketing हो रही हे दोनों में क्या अंतर हे। Traditional Marketing और  Digital Marketing के क्या-क्या फायदे और नुकसान हे । क्यों आजकल डिजिटल मार्केटिंग का इतना ज्यादा उपयोग होने लगा ,ये सब हम यहा समझेंगे ।

Introduction

आजकल तेजी से आगे बड रही इस डिजिटल दुनिया में ,अपने व्यावसाय को आगे ले जाना बहुत ही सरल हो गया हे । पिछले कई सालो से हम अपने व्यावसाय को अपने दर्शको तक पहुचाने के लिए हम विज्ञापन प्रिंट करवाना , टीवी और रेडियो पर विज्ञापन देना जेसे तरीके अपनाते थे । लेकिन डिजिटल मार्केटिंग में हमे सोशल मीडिया(जेसे Facebook, Instagram, Youtube, etc. ) ,ईमेल और अन्य ऑनलाइन चेनलो के माध्यम से अपने दर्शको तक पहुचना बहुत आसन हो गया हे ।

लेकिन इतने सारे विकल्प उपलब्ध होने के बाद भी यह निर्धारित करना मुश्किल होता हे की आपके व्यावसाय के लिए कोन सी मार्केटिंग रणनीति सबसे अच्छी हे । इस पोस्ट में हम ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग क्या हे और दोनों के बिच क्या अंतर हे , और देखेंगे की अपने व्यावसाय को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए दोनो का किस तरह उपयोग करेंगे । 

चाहे आप एक छोटे व्यावसाय के मालिक हो या फिर अपने किसी भी व्यावसाय की रणनीति बनाना चाहते हो , तो यह पोस्ट मार्केटिंग की दुनिया में आपको बहुत मदद करेगी और आपको अपनी मार्केटिंग के बारे में निर्णय लेने में मदद करेगी।

What is Traditional Marketing ।ट्रेडिशनल मार्केटिंग क्या हे ?

Definition of Traditional Marketing ।ट्रेडिशनल मार्केटिंग की परिभाषा :

Taditional Marketing , मार्केटिंग करने का वह तरीका हे जिसका उपयोग इन्टरनेट और डिजिटल टेक्नोलॉजी के आने के पहले बहुत किया जाता था । इसमे हम विज्ञापन प्रिंट करवाना , टीवी और रेडियो पर विज्ञापन देना जेसे तरीके शामिल हे । ट्रेडिशनल मार्केटिंग का उद्धेश मास मिडिया चेनलो के माध्यम से दर्शको तक पहुचना हे और व्यावसाय की ब्रांड को बनाने और बिक्री को बदने के लिया किया जाता हे।

यहां ट्रेडिशनल मार्केटिंग  विधियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

विज्ञापन प्रिंट : विज्ञापन को समाचार पत्रों ,पत्रिकाओ और फ्लायर्स में प्रिंट करवाया जाता हे । और इन्हे पड़ने वाले ध्यान विज्ञापन पर जाये इसके लिए उसे आकर्षित तरीके से डिज़ाइन किया जाता है।

टीवी और रेडियो विज्ञापन: ये विज्ञापन टीवी और रेडियो स्टेशनों पर प्रसारित करके और बड़े दर्शको तक पहुचने के लिए डिज़ाइन किए जाते हे। टीवी और रेडियो विज्ञापन को अक्सर एक यादगार संदेश बनाने के लिए कहानी कहने और हास्य का उपयोग करते हैं।

डायरेक्ट मेल : इसमे मार्केटिंग सामग्री शामिल होती हे जो सीधे ही किसी भी व्यक्ति के घर या कार्यालय को भेजी जाती हे , जेसे फ्लायर्स, ब्रोशर और कैटलॉग। डायरेक्ट मेल का उपयोग अक्सर विशेष ऑफ़र या नए उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

होर्डिंग : इन बड़े आउटडोर विज्ञापनों को राजमार्गों और शहर की सड़कों जैसे उच्च यातायात वाले क्षेत्रों में रखा जाता है। तथा इन होर्डिग ने अन्दर छोटे संदेशो और आकर्षक दृश्यों का उपयोग करते हे जिससे की सडको पर निकलने वाले ड्राईवरो और पैदल चलने वालो का ध्यान आकर्षित हो ।

Traditional Marketing की ये सारी विधिया हमारे व्यापार को अपने दर्शको तक पहुचने के लिए प्रभावी हो सकती हे, परन्तु इनका उपयोग करना महंगा होता हे और अपने दर्शको को मापना भी मुश्किल होता हे।

इन्ही कारणों की वजह से कई व्यवसायों ने आजकल डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग करना शुरू कर दिया हे और यह ट्रेडिशनल मार्केटिंग की अपेक्षा सस्ता भी होता हे ।

Advantages of Traditional Marketing । ट्रेडिशनल मार्केटिंग के फायदे :

व्यापक पहुंच:  टीवी विज्ञापन और होर्डिंग जेसी ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों का उपयोग करके हम हमारे उन व्यापक दर्शको तक भी पहुच सकते हे, जो लोग डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग नही करते ।

टेंजिबल : ट्रेडिशनल मार्केटिंग में ग्राहकों को प्रिंटेड सामग्री जेसे फ्लायर्स और ब्रोशर को शारीरिक रूप से स्पर्श करने और संलग्न करने की अनुमति देते हे, जो एक मजबूत भावनात्मक संबंध बना सकता है।

स्थानीय लक्ष्यीकरण: ट्रेडिशनल मार्केटिंग की कुछ विधिया, जेसे डायरेक्ट मेल और स्थानीय समाचार पत्र में विज्ञापन का उपयोग करकर हम हमारे आसपास के छेत्र के लोगो को टारगेट कर सकते हे । यह हर छोटे व्यापारी को अपने स्थानीय ग्राहकों तक पहुचने का एक तरीका हे ।

Disadvantages of Traditional Marketing ।ट्रेडिशनल मार्केटिंग के नुकसान :

महंगा: टीवी और रेडियो विज्ञापन जैसे ट्रेडिशनल मार्केटिंग  विधियां बहुत महंगी हो सकती हैं, जिससे उन्हें सीमित बजट वाले छोटे व्यवसायों के लिए कम सुलभ बनाया जा सकता है।

मापना मुश्किल: ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों की प्रभावशीलता को मापना मुश्किल हो सकता है, जिससे निवेश पर वापसी निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है।

एक-तरफ़ा संचार: ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों में आम तौर पर एक-तरफ़ा संचार शामिल होता है, इसमे ग्राहकों को जो सन्देश भेजते हे उसमे दो-तरफा बातचीत करने की छमता नही होती हे ।

सीमित लक्ष्यीकरण: ट्रेडिशनल मार्केटिंग की सिमित पहुच होती हे, जिससे हमारी टार्गेटेड ऑडियंस वाले छेत्र तक पहुचना और हमारी ऑडियंस को टारगेट करना मुश्किल होता हे ।

यहा Traditional Marketing विधियों के अपने फायदे हे, वे हर व्यवसाय के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकते हैं। जबकि डिजिटल मार्केटिंग के आने के बाद हर कोई अपने व्यावसाय को बहुत कम लागत के साथ अपने टार्गेटेड दर्शको तक पहुचहाने और उन्हें मापने का विकल्प भी मिलता हे ।

What is Digital Marketing? डिजिटल मार्केटिंग क्या हे ?

Definition of Digital Marketing ।डिजिटल मार्केटिंग की परिभाषा :

Digital Marketing ,मार्केटिंग करने का वह तरीका हे जिसमे डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता हे, जेसे की इन्टरनेट, सोशल मीडिया (जेसे Facebook, Instagram, Youtube, etc. ) और मोबाइल डिवाइस । डिजिटल मार्केटिंग विधियों का उद्देश्य ऑनलाइन चैनलों, जैसे सर्च इंजन, ईमेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और वेबसाइटों के माध्यम से लक्षित दर्शकों तक पहुंचना है। डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग अक्सर ब्रांड जागरूकता बनाने, लीड उत्पन्न करने और बिक्री को चलाने के लिए किया जाता है।

यहां डिजिटल मार्केटिंग विधियों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं:

सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO): हमारी वेबसाइट और उसके कंटेंट को अनुकूलित बनाकर उसे रेंक करवाना होता हे जिससे की वो सर्च इंजन से खोजने पर पहले पृष्ठों पर दिखे । सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन का लक्ष्य वेबसाइट ट्रैफ़िक को बढ़ाना और लीड उत्पन्न करना है।

सोशल मीडिया मार्केटिंग (SMM) : इसमें फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से  हमारे व्यवसाय व उसके उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देना होता हे । सोशल मीडिया मार्केटिंग की मदद से हमारे व्यवसायों को ब्रांड बनाने और अपने लक्षित दर्शकों के साथ जुड़ने में मदद मिलती हे ।

ईमेल मार्केटिंग: इसमें ईमेल के माध्यम से अपने ग्राहकों की सूची में प्रचार संदेश भेजना शामिल है। ईमेल मार्केटिंग का उपयोग करके हमारे नए उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने, छूट या सौदों की पेशकश करने और ग्राहको के साथ वफादारी बनाने के लिए किया जा सकता है।

पे-पर-क्लिक (PPC) विज्ञापन: इसमें सर्च इंजन परिणाम पृष्ठों या सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापन रखना और विज्ञापन पर प्रत्येक क्लिक के लिए भुगतान करना शामिल है।

कंटेंट मार्केटिंग : इसमें हम लक्षित दर्शकों को आकर्षित करने और संलग्न करने के लिए मूल्यवान सामग्री, जैसे ब्लॉग पोस्ट, वीडियो और इन्फोग्राफिक्स बनाना और साझा करना शामिल है। कंटेंट मार्केटिंग हमारे व्यवसायों को एक ब्रांड मदद करता है।

आज की इस दुनिया में डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग करना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया हे, क्योकि आजकल हर कोई इन्टरनेट का उपयोग करता हे। लोग किसी भी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले इन्टरनेट पर रिसर्च करते हे और वही से उसे खरीदने का निर्णय भी लेते हे। डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग हम अपने व्यवसाय में करके, कम खर्च के साथ हम हमारी टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुच सकते हे और उन्हें माप भी सकते हे ।

Advantages of Digital Marketing ।डिजिटल मार्केटिंग के फायदे :

व्यापक पहुंच: डिजिटल मार्केटिंग की मदद से हम विश्व भर के दर्शको तक पहुच सकते हे, जो ऑनलाइन कम करते हे और उन्हें उन व्यवसायों के लिए आदर्श बना लिया जाता हे।

कम लागत: ईमेल मार्केटिंग और सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे डिजिटल मार्केटिंग तरीके अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं, जो की सीमित बजट वाले व्यवसायों के लिए एक अच्छा विकल्प बन गया है।

मापनीय: डिजिटल मार्केटिंग में अपने व्यावसाय के लिए की गयी मार्केटिंग को हम ट्रैक और अनालिस भी कर सकते हे, जिससे की हम अपने व्यापार के मार्केटिंग की रणनीति को और भी ज्यादा प्रभावशाली बनाया जा सकता हे

लक्षित: डिजिटल मार्केटिंग की विधियों में हम अपने अनुसार लोगो को टारगेट कर सकते हे, इसमे हम अपने व्यावसाय की मार्केटिंग के लिए अपने टार्गेटेड दर्शको का एरिया, रूचि और व्यवहार से सब भी सेट कर सकते हे ताकि हम हमारी टार्गेटेड ऑडियंस तक आसानी से पहुच जाये

Disadvantages of Digital Marketing ।डिजिटल मार्केटिंग के नुकसान :

लगातार विकसित हो रहा है: डिजिटल मार्केटिंग कि टेक्नोलॉजीया ओर प्लेटफार्म लगातार विकसित होते जा रहे हे, जिसके चलते हमारे व्यावसाय को नवीनतम रुझानों और रणनीतियों के साथ उप-टू-डेट रखना पड़ता हे।

प्रतिस्पर्धा: डिजिटल मार्केटिंग विधियों का उपयोग आजकल हर बिजनेस में बहुत ज्यादा होने लगा हे, हर कोई अपने बिजनेस की मार्केटिंग डिजिटल तरीके से कर रहा हे, जिसके कारण इस भीड़ से बहार खड़ा होना मुश्किल हो जाता हे ।

विज्ञापन-ब्लॉकिंग: कुछ उपभोक्ता विज्ञापन-ब्लॉकिंग सॉफ़्टवेयर का उपयोग करते हैं, जिसके कारण व्यवसाय के लिए किये गये डिजिटल विज्ञापन को हमारी टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुचना मुश्किल हो जाता हे।

सुरक्षा चिंताएं: डिजिटल मार्केटिंग के कुछ तरीके, जेसे ईमेल मार्केटिंग में हैकिंग और फ़िशिंग जेसे सुरक्षा के खतरे होते हे, जो किसी व्यवसाय की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

यहा Digital Marketing की विधियों के अपने फायदे हे, ये हर व्यावसाय के लिए सबसे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता । किसी व्यवसाय में उसकी टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुचने और उसके लक्ष्यों को पूरा करने के लिए, ट्रेडिशनल मार्केटिंग की विधिया अधिक प्रभावी हो सकती हे ।

किसी भी व्यावसाय की मार्केटिंग रणनीतियो को विकसित करते समय डिजिटल और ट्रेडिशनल दोनों की  मार्केटिंग विधियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।  

Differences between Digital and Traditional Marketing । ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग के बिच अंतर ।

पहुंच: ट्रेडिशनल मार्केटिंग जेसे प्रिंट विज्ञापन, होर्डिंग और टीवी विज्ञापन की विधिया से हम हमारे एरिया के लोगो तक ही पहुच सकते हे, जबकि डिजिटल मार्केटिंग के तरीके से हम पुरे विश्व के किसी भी दर्शको तक पहुच सकते हे ।

लागत: ट्रेडिशनल मार्केटिंग करना महंगा होता हे, खासकर सिमित बजट वाले व्यवसायों के लिए, जबकि डिजिटल मार्केटिंग करने में लागत बहुत कम आती हे ।

लक्ष्यीकरण: ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों की एक सिमित पहुच होती हे, जबकि डिजिटल मार्केटिंग की मदद से अत्यदिक लक्ष प्राप्त किया जा सकता हे, इसमे हम हमारी टार्गेटेड ऑडियंस तक पहुचने के लिए उसका एरिया, रूचि और व्यवहार ये सब भी सेट कर सकते हे ।

मेसुरेबिलिटी: ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों को ट्रैक करना बहुत ही मुश्किल होता हे, जबकि डिजिटल मार्केटिंग की विधियों में हमारे व्यावसाय के लिए की गयी मार्केटिंग को ट्रैक और एनालाइज भी कर सकते हे, जिससे हम अपनी मार्केटिंग की रणनीति में और भी सुधार कर उसे अधिक प्रभावशाली बना सकते हे ।   

इन्त्राक्टिविटी: ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों में आम तोर पर केवल एक तरफा संचार होता हे, जबकि डिजिटल मार्केटिंग की विधियों में सोशल मीडिया, ईमेल और अन्य डिजिटल चेनलो के माध्यम से अपने टार्गेटेड दर्शको के साथ दो तरफा संचार कर बातचीत भी कर सकते हे ।

टैंगिबिलिटी: प्रिंट विज्ञापन और ब्रोशर जैसे ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियां वास्तविक हैं और ग्राहकों के साथ एक मजबूत भावनात्मक संबंध बनती हे, जबकि डिजिटल मार्केटिंग विधियों में इस वास्तविकता की कमी होती हे।

गति: डिजिटल मार्केटिंग विधियों को जल्दी से निष्पादित किया जा सकता है, जबकि प्रिंट विज्ञापनों और होर्डिंग जैसे ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियों को अधिक लीड समय की आवश्यकता हो सकती है।

रचनात्मकता: डिजिटल मार्केटिंग विधियां जैसे सोशल मीडिया और कंटेंट मार्केटिंग अधिक रचनात्मक और इंटरैक्टिव दृष्टिकोण की अनुमति देते हैं, जबकि ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियां अधिक स्थिर होती हैं।

ये ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग विधियों के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। अंततः, सबसे प्रभावी मार्केटिंग रणनीति एक व्यवसाय के लक्षित दर्शकों, मार्केटिंग लक्ष्यों और बजट पर निर्भर करती हे।

Which is better: Traditional or Digital Marketing? कौन सा बेहतर है: पारंपरिक या डिजिटल मार्केटिंग?

ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग में कोन बेहतर हे या नही, इसका जवाब एक व्यवसाय के लक्षित दर्शकों, मार्केटिंग लक्ष्यों और बजट पर निर्भर करता हे।

ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधिया जेसे प्रिंट विज्ञापन, होर्डिंग और टीवी विज्ञापन ये हमारे व्यावसाय के स्थानीय या क्षेत्रीय दर्शकों को टारगेट करने के लिए प्रभावी हो सकता हे । ये बड़े बजट वाले व्यवसायों के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकता हे जो अपने ग्राहकों के साथ वास्तविक और भावनात्मक संबंध बनाना चाहते हैं।

दूसरी और, डिजिटल मार्केटिंग की विधिया जैसे कि सोशल मीडिया मार्केटिंग, ईमेल मार्केटिंग और कंटेंट मार्केटिंग हमारे व्यावसाय को दूर-दूर तक के दर्शको या हमारी टार्गेटेड ऑडियंस के लिए अत्यधिक प्रभावशाली हो सकती हे। डिजिटल मार्केटिंग की ये विधिया, ट्रेडिशनल मार्केटिंग की तुलना में बहुत सस्ती होती हे और मापने योग्य भी होती हे ।

आज के इस डिजिटल युग में, ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग दोनों को मिलाकर उसका उपयोग करने से व्यवसाई को और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता हे । ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग दोनों की ताकत को जोड़कर, हम हमारे सभी दर्शको तक पहुच सकते हे और अपने ग्राहकों के साथ अधिक सार्थक तरीकों से जुड़ सकते हैं।

अंततः, सबसे अच्छी मार्केटिंग की रणनीति किसी भी व्यवसाय की जरूरतों और लक्ष्यों पर निर्भर करेगी। हमे किन मार्केटिंग विधियों का उपयोग करना है, हमे अपने व्यावसाय के टार्गेटेड दर्शकों, मार्केटिंग लक्ष्यों और बजट को तय करते समय सावधानीपूर्वक यह विचार करना होता हे ।

Conclusion।निष्कर्ष

अंत में, ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग दोनों के अपने अनूठे फायदे और नुकसान हैं। प्रिंट विज्ञापन, होर्डिंग और टीवी विज्ञापनों जैसे ट्रेडिशनल मार्केटिंग विधियां का उपयोग स्थानीय या क्षेत्रीय दर्शकों को टारगेट करने वाले व्यवसायों के लिए प्रभावी हो सकती हैं, जबकि डिजिटल मार्केटिंग विधियां जैसे कि सोशल मीडिया(जेसे Facebook, Instagram, Youtube, etc. ) मार्केटिंग, ईमेल मार्केटिंग और कंटेंट मार्केटिंग का उपयोग विश्व भर के दर्शकों या अपने टार्गेटेड दर्शकों को टारगेट करने वाले व्यवसायों के लिए अत्यधिक प्रभावी हो सकती हैं।

किसी भी व्यावसाय को उसके टार्गेटेड दर्शको, मार्केटिंग लक्ष्यों और बजट को तय करते समय यह भी विचार करना महत्वपूर्ण हे की हमे कोन सी मार्केटिंग विधियों का उपयोग करना चाहिए । आज के इस डिजिटल युग में, ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केटिंग दोनों को मिलाकर उसका उपयोग करने से व्यवसाई को और भी प्रभावशाली बनाया जा सकता हे ।

ट्रेडिशनल या डिजिटल मार्केटिंग दोनों में कोन बेहतर हे इस बारे में बहस जारी रह सकती हे, जबकि वास्विकता यह हे की दोनों का आधुनिक मार्केटिंग में अपना एक स्थान हे । किसी भी व्यावसाय को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए और अपने टार्गेटेड दर्शको तक पहुचने के लिए मार्केटिंग विधियों का सही मिश्रण चुनना बहुत जरुरी है।

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